दिल्ली पुलिस की निगरानी में होती रही हिंसा, सीआरपीएफ के जवान बोले- जब हमें कुछ करने का आदेश ही नहीं तो यहां तैनात क्यों किया?

राहुल कोटियाल, करावल नगर/भजनपुरा/मुस्तफाबाद/चांद बाग/चंदू नगर/खजूरी खास से


सुबह के 10 बजने को हैं। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में यह सुबह बेहद तनाव के साथ हुई है। सिग्नेचर ब्रिज से खजूरी की ओर बढ़ने पर इसके दर्जनों सबूत दिखने लगते हैं। बाजार बंद हैं। सड़कें पत्थरों से पटी पड़ी हैं। जली हुई दर्जनों गाड़ियां सड़क के दोनों ओर मौजूद हैं और आग लगी इमारतों से अब तलक धुआं उठ रहा है। धुआं उगलती ऐसी ही एक इमारत मोहम्मद आजाद की है। ये इमारत उस भजनपुरा चौक के ठीक सामने है, जहां स्थित पुलिस सहायता केंद्र और एक मजार को भी कल (सोमवार को) दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया था। मोहम्मद आजाद कई सालों से यहां ‘आजाद चिकन कॉर्नर’ चलाया करते थे, जो अब राख हो चुका है। इसी इमारत के दूसरे छोर पर उनके भाई भूरे खान और दीन मोहम्मद की फलों की दुकानें हुआ करती थीं। इस दो मंज़िला इमारत में नीचे दुकानें थीं और ऊपर मोहम्मद आज़ाद के भाई भूरे खान का परिवार रहता था।

आगजनी के बारे में आजाद बताते हैं, ‘सोमवार की दोपहर दंगाइयों ने हमला किया। सड़क के दूसरी ओर भजनपुरा है, वहीं से सैकड़ों दंगाई आए और तोड़-फोड़ करने लगे। पहले उन्होंने दुकान का शटर तोड़ा और लूट-पाट की। इसके बाद पेट्रोल छिड़क कर हमारी गाड़ियां, दुकान, घर सब जला डाला।’ जिस वक्त इस इमारत में आग लगाई गई उस दौरान भूरे खान अपने परिवार के साथ इमारत में ही मौजूद थे। वे बताते हैं, ‘कल दोपहर पत्थरबाज़ी दोनों तरफ से ही हो रही थी। जब यह शुरू हुई, उससे पहले ही माहौल बिगड़ने लगा था तो हम लोग दुकान बंद करके ऊपर अपने घर में आ चुके थे। हमें अंदाज़ा नहीं था कि दंगाई शटर तोड़ कर हमारे घर में दाख़िल हो जाएंगे या घर को आग लगा देंगे।’

डबडबाई आंखों के साथ भूरे खान कहते हैं- ‘जब भीड़ नीचे हमारी दुकानें जलाने लगी तो हम छत की ओर भागे। वहीं से दूसरी तरफ कूद कर जान बचाई। बचपन में हम टीवी पर तमस देखकर सोचा करते थे कि दंगों का वो दौर कितना खतरनाक रहा होगा। कल हमने वही सब अपनी आंखों से देखा। पुलिस भी उन दंगाइयों को रोक नहीं रही थी, बल्कि पुलिस की आड़ लेकर ही दंगाई आगे बढ़ रहे थे।’ भूरे खान जब आपबीती बता रहे हैं, तब तक दोपहर के 11 बज चुके हैं। सड़क के दूसरी तरफ बसे भजनपुरा की गलियों में अब तक कई लोग जमा हो चुके हैं और ‘जय श्री राम’ के नारों का उद्घोष होने लगा है। फिलहाल पुलिस या सुरक्षा बल के कोई भी जवान इन्हें रोकने के लिए मौजूद नहीं है। हालांकि, भजनपुरा चौक से करावल नगर रोड की तरफ सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।

मुख्य सड़क से एक तरफ जिस तरह से मोहम्मद आज़ाद की इमारत और अन्य संपत्ति खाक हुई है, ठीक वैसे ही सड़क के दूसरी मनीष शर्मा की संपत्ति के साथ भी हुआ है। मनीष की बिल्डिंग उस पेट्रोल पंप के ठीक बगल में स्थित है, जिसे सोमवार को दंगाइयों ने आग के हवाले कर दिया था। इस आगज़नी में मनीष की कार, बाइक और उनकी ‘दिल्ली ट्रैवन्स’ नाम की कंपनी का दफ्तर भी जला दिया गया है। इसी इमारत में ‘कैप्टन कटोरा’ नाम का एक रेस्टौरेंट भी जलाया गया है। मनीष के दफ्तर से कुछ ही आगे बढ़ने पर ‘हॉराइजन एकेडमी’ है। मेडिकल और इंजीनियरिंगकी कोचिंग करवाने वाले इस संस्थान को नवनीत गुप्ता चलाते हैं। वो बताते हैं- ‘कल करीब साढ़े बारह बजे दंगाइयों ने यहां आगजनी शुरू की। उस वक्त हमारे संस्थान में करीब 50-60 बच्चे मौजूद थे। हम बस इसी बात के लिए भगवान का शुक्रिया कर रहे हैं कि दंगाई कोशिश करने के बावजूद भी दरवाज़े तोड़ने में कामयाब नहीं हुए। उन्होंने यहां लगे सारे सीसीटीवी कैमरे और कांच तोड़ डाले लेकिन अगर वो भीतर दाख़िल हो जाते तो बच्चों की सुरक्षा हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाती।’

नवनीत गुप्ता के इस कोचिंग इंस्टिट्यूटके ठीक सामने, सड़क की दूसरी तरफ की सर्विस रोड पर कुछ तिरपाल लगे हैं। यही वो जगह है, जहां बीते कई दिनों से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन चल रहा था। सोमवार को दंगाइयों ने तिरपाल लगे इस कैंप को भी आग के हवाले कर दिया था, लेकिन अभी थोड़ी देर पहले ही स्थानीय लोगों ने इसे दोबारा खड़ा किया है। यहां मौजूद मोहम्मद सलीम बताते हैं कि ‘स्थानीय महिलाएं बीते डेढ़ महीने से यहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहीं थी। कोई हिंसक घटना नहीं हुई। लेकिन कल पुलिस के साथ कई दंगाई आए और उन्होंने महिलाओं के साथ मारपीट शुरू कर दी। इसके बाद पत्थरबाज़ी शुरू हो गई।’ मोहम्मद सलीम सामने इशारा करते हुए दिखाते हैं कि ‘सड़क के उस तरफ जो मोहन नर्सिंग होम आप देख रहे हैं, वहां से प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई गई। कई बच्चे इसमें ज़ख़्मी हुए और कुछ की तो मौत भी हो गई।

यहां न्यू मुस्तफाबाद के रहने वाले शाहिद की मौत भी उसी गोली लगने से हुई है, जो इस नर्सिंग होम की छत से चलाई गई थी।’ शाहिद खान न्यू मुस्तफाबाद की गली नंबर-17 का रहने वाला था। 23 साल के शाहिद की अभी तीन महीने पहले ही शादी हुई थी। मूल रूप से बुलंदशहर का रहने वाला शाहिद बीते 5 साल से दिल्ली में था और यहां ऑटो चलाया करता था। शाहिद के बहनोई सलीम बताते हैं, ‘वो काम से लौट रहा था। साढ़े तीन-चार बजे के करीब उसे गोली लगी। कुछ लोगों ने उसे यहीं पास के मदीना नर्सिंग होम पहुंचाया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही शायद वो दम तोड़ चुका था।’ शाहिद की ही तरह 20 वर्षीय दानिश को भी गोली लगी है। दानिश मुस्तफाबाद की ही गली नंबर-11 का रहने वाला है। उसके पिता मोहम्मद जलालुद्दीन का आरोप है कि उनके बेटे को भी मोहन नर्सिंग होम से चलाई गई गोली लगी है। वे कहते हैं, ‘हम लोग कसाबपुरा से लौट रहे थे। बस से उतर कर आगे बढ़े ही थे कि उसकी जांघ में गोली लग गई। अल्लाह का शुक्र है कि उसकी जान बच गई। वो अभी गुरु तेग बहादुर अस्पताल में भर्ती है।’

मंगलवार को दिन चढ़ने के साथ ही उत्तर-पूर्वी दिल्ली के इस हिस्से में तनाव भी बढ़ने लगा है। दोपहर के बारह बज चुके हैं और अब तक सैकड़ों लोग अपनी-अपनी गलियों के बाहर लाठी-डंडे, पत्थर और लोहे के सरिए लिए टहलने लगे हैं। भजनपुरा चौक से करावल नगर रोड पर आगे बढ़ने पर शुरुआत का इलाका चांद बाग कहलाता है। मुस्लिम बहुल इस क्षेत्र की जितनी भी गलियां रोड पर खुल रही हैं, लगभग सभी गलियों के बाहर कुछ बुजुर्ग लोग कुर्सी डाले बैठे हैं। ऐसी ही एक गली के बाहर जेके सैफी, आर सिद्दीकी और इस इलाके के पूर्व पार्षद ताज मोहम्मद मौजूद हैं। इस तरह गली के मुहाने पर बैठने के बारे में जेके सैफी कहते हैं कि ‘हम यहां इसलिए बैठे हैं, ताकि मोहल्ले के जवान लड़के जोश में कोई गलत कदम न उठाएं। हमने सभी को गली के अंदर ही रहने को कहा है और हम खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं।’ उनकी बातों को आगे बढ़ाते हुए ताज मोहम्मद कहते हैं, ‘हम शांति और भाईचारा चाहते हैं। हम जो प्रदर्शन भी कर रहे थे वो पूरी तरह शांतिपूर्ण था और किसी समुदाय के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार के फैसले के खिलाफ था। अब अगर हम अपनी मांगें सरकार के सामने न रखें तो क्या करें। कल यहां इतनी हिंसा हुई, कई दुकानें और घर जला दिए गए, चौक पर बनी मजार और पीछे के इलाकों में कुछ मस्जिद तक जला दी गई, पर ये सामने का मंदिर आप देख लीजिए, इस पर एक भी पत्थर नहीं चला है। जबकि ये मंदिर मुस्लिम बहुल चांदबाग में स्थित है।’

सीआरपीएफ जवानों की लाचारी
चांद बाग के इस मुस्लिम बहुल क्षेत्र में अभी शांति है। यहां से न तो कोई नारेबाजी हो रही है और न ही मुख्य सड़क पर कोई हथियार लिए नजर आ रहा है। जबकि यहां से थोड़ा ही आगे बढ़ने पर मूंगानगर और चंदू नगर जैसे हिंदू बहुल इलाकों का माहौल बेहद खतरनाक हो चला है। यहां खुलेआम लोग लाठी-डंडे लिए सड़कों पर घूम रहे हैं और रह-रह कर धार्मिक नारे उछाले जा रहे हैं। सीआरपीएफ के कई जवान भी यहां तैनात हैं, लेकिन हजारों की भीड़ के आगे कुछ दर्जन ये जवान बेबस ही नज़र आ रहे हैं। इसका एक उदाहरण तब मिलता है जब सीआरपीएफ के कुछ जवान कूलर-फैन की एक लूटी गई दुकान से स्टील के फ्रेम उठाकर ले जाते लड़कों को रोकने की नाकाम कोशिश करते हैं। ये स्टील के फ्रेम इसलिए ले जा रहे हैं ताकि पत्थरबाज़ी के दौरान इसका ढाल के रूप में इस्तेमाल कर सकें। पर जब कुछ जवान उन्हें रोकते हैं तो लड़के जवानों को लगभग डपटते हुए फ्रेम उठाकर आगे बढ़ जाते हैं।

मंगलवार करीब सवा बारह बजे हैं और अब पुलिस की कई गाड़ियां भजनपुरा चौक से करावल नगर रोड में दाखिल हो रही हैं। इस भारी पुलिस बल के बीच कुछ मुस्लिम नेता तिरंगा झंडा लिए शांति मार्च कर रहे हैं। वो मूंगानगर और चंदू नगर के निवासियों से शांति व्यवस्था बनाने की अपील कर रहे हैं, लेकिन सड़क के दोनों ओर मौजूद ‘जय श्री राम’ का नारा लगाती भीड़ के शोर में उनकी बातें कोई नहीं सुन रहा। यह भीड़ लाठी-डंडे लहराती हुई ‘मोदी-मोदी’ के नारे भी लगा रही है। स्थिति को भाँपते हुए पुलिस जल्दी ही शांति मार्च कर रहे इन लोगों को वापस ले जाती है।

दोपहर में एक-डेढ़ बजे के करीब जब मस्जिदों से नमाज की आवाज़ शुरू हुई है, तब तक माहौल ऐसा बन चुका है कि अब कभी भी हिंसा शुरू हो सकती है। इस हिंसा के लिए दोनों ही पक्ष तैयार भी नज़र आते हैं। दोनों पक्षों में बस इतना ही फर्क है कि जहां हिंदू बहुल इलाकों में सब कुछ खुलेआम हो रहा है, वहीं मुस्लिम बहुल इलाक़ों में हिंसा की यह तैयारी गलियों से भीतर दबे-छिपे की जा रही है। लाठी-डंडे, पत्थर, लोहे की रॉड और पेट्रोल बम जैसे हथियार दोनों ही पक्षों ने तैयार कर लिए हैं। लेकिन जहां हिंदू पक्ष की भीड़ मुख्य सड़क पर सुरक्षा बलों की आंखों के आगे ये सब जमा कर रही है, वहीं मुस्लिम पक्ष ये सारे काम मुख्य सड़क से दूर अपनी गलियों के भीतर कर रहे हैं। दूसरे पक्ष को उकसाने वाले नारे भी सिर्फ हिंदू पक्ष की ओर से ही उछाले जा रहे हैं।

सीआरपीएफ के जिन जवानों की यहां तैनाती है, उन्हें मौके पर पहुंचे 19 घंटों से ज्यादा हो चुका है। सोमवार की रात आठ बजे से लगातार मौके पर तैनाती दे रहे इन जवानों की मंगलवार दोपहर तीन बजे तक भी शिफ्ट नहीं बदली गई है। हालांकि, इन लोगों की तैनाती से अब तक कोई हिंसक घटना नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से इन जवानों के आगे ही भड़काऊ नारे लग रहे हैं, पत्थर जमा किए जा रहे हैं, हथियार लहराए जा रहे हैं और खुलेआम दूसरे समुदाय को जला डालने की बात कहते हुए ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को जमा किया जा रहा है, उसे देखते हुए जवान भी जानते हैं कि अब कभी भी हिंसा भड़क सकती है।


  • इस इलाके में हिंसा कैसे और कब शुरू हुई और इस दौरान पुलिस व सुरक्षा बलों की क्या भूमिका रही, इसका विस्तृत ब्यौरा रिपोर्ट के अगले भाग में...


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