कृति ने शेयर किया अनुभव, कहा- नववारी साड़ी-वजनी ज्वेलरी पहनकर घोड़ा दौड़ाना, तलवार घुमाना आसान नहीं था

बॉलीवुड डेस्क. फिल्म ‘पानीपत’ कृति सेनन के कॅरिअर की पहली पीरियड फिल्म थी। अब इस भव्य फिल्म का वर्ल्ड टेलीविजन प्रीमियर होने जा रहा है। इस मौके पर कृति ने फिल्म से जुड़े अपने अनुभव और रोल के बारे में बताया।

कृति ने बताया, स्कूल लाइफ में मुझे इतिहास में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी इसलिए मैंने इस विषय में उतना ध्यान नहीं दिया। हां, मुझे पार्वती बाई के बारे में कुछ बातें पता थीं कि उन्होंने युद्ध के दौरान क्या भूमिका निभाई थी। इस फिल्म के दौरान मैंने उनके सफर के बारे में जाना।

उन्होंने बताया कि,आशुतोष की फिल्मों की दूसरी हीरोइनों की तरह पार्वती बाई का मेरा किरदार भी दमदार औरत का था। पार्वती बाई एक ऐसी औरत थीं, जो अपने लोगों की रक्षा करने के लिए किसी का भी सामना करने से नहीं डरतीं। यह किरदार निभाते हुए वाकई मुझे बड़ा अनूठा अनुभव हुआ।

उन्होंने बताया कि, फिल्म पर काम करने से पहले मैं मराठी भी नहीं जानती थी, लेकिन मैंने यह सुनिश्चित किया कि मैं जितनी भी मराठी बोलूं वो विश्वसनीय और सहज लगे। इससे पहले मैंने कुछ तेलुगु फिल्मों में काम किया है, जहां मुझे तेलुगु में डायलॉग बोलने थे। उसकी तुलना में मराठी बोलना उतना कठिन नहीं था। मेरी बोली सुधारने के लिए एक कोच भी था, जिसने मेरे हर डायलॉग पर खास ध्यान दिया।

अपने एक्सप्रेशन सही ढंग से देने के लिए मैं कुछ समय के लिए यह मानने लगी थी कि मैं उस काल से ही हूं। मेरे पहनावे ने इस यकीन को और मजबूत कर दिया और मुझमें पार्वती बाई जैसा एहसास जगाया। शूटिंग खत्म होते तक मैं इस भाषा को एंजॉय करने लगी थी।

महाराष्ट्रीयन ड्रेस के लिए उत्साहित थी
मैं पंजाबी पृष्ठभूमि से हूं इसलिए मैं एक महाराष्ट्रीयन की तरह ड्रेसअप होने के लिए वाकई उत्साहित थी। अपने पारंपरिक लुक के लिए मैंने नववारी साड़ी पहनी, खोपा लगाकर अपने बाल बांधे, और ज्वेलरी और नथ के साथ पेशवा लुक प्रस्तुत किया। पार्वती बाई का सच्चा अवतार दिखाने के लिए काफी रिसर्च करने के बाद मेरी टीम ने मुझे बड़ी बारीकी से ज्वेलरी पहनाई। मेरे हेयर पिंस गोल्ड के बने थे, जिन पर पक्षियों की डिजाइन थी और मेरे ईयर रिंग्स पर मोर की टेल्स थीं। इस भव्य ड्रेसअप के बाद मुझे ऐसा लगा जैसे मैं भी उसी दौर की हूं।

कृति के मुताबिक,फिल्म में जीनत अमान और पद्मिनी कोल्हापुरे के साथ काम करने का भी मौका मिला। जब जीनत जी से मिली, तो उन्होंने गले लगाकर मेरे काम की तारीफ की। पद्मिनी जी भी काफी शांत और खुले दिल की एक्ट्रेस हैं। दोनों में इतने दशकों बाद भी काम करने की भूख है।

तलवारबाजी की ली स्पेशल ट्रेनिंग
इसके अलावा मैंने अपनी पिछली एक फिल्म के लिए पहले ही घुड़सवारी की ट्रेनिंग ली थी इसलिए ‘पानीपत’ में मुझे ज्यादा मुश्किल नहीं हुई। हां, तलवारबाजी सीखने के लिए स्पेशल ट्रेनिंग की। हालांकि यह उतना मुश्किल नहीं लेकिन मुझे नववारी साड़ी और कई किलो की हैवी ज्वेलरी पहनकर अपने फाइट सीन्स परफॉर्म करने थे। जो कि बहुत चुनौतीपूर्ण था लेकिन साथ ही यह मजेदार भी रहा।



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