दिल्ली में जो पार्टी 40% वोट हासिल करती है, वही सरकार बनाती है; पहली बार सत्ता में आई भाजपा ने तीन सीएम दिए थे

नई दिल्ली. दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए 8 फरवरी को मतदान होगा। नतीजे तीन दिन बाद यानी 11 फरवरी को आएंगे। इतिहास देखें तो यहां वही पार्टी सरकार बना पाई, जिसने कम से कम 40 फीसदी वोट हासिल किए। अब तक कुल 6 चुनाव हुए। तीन बार कांग्रेस, दो बार आम आदमी पार्टी (एक बार कांग्रेस के समर्थन से) और एक बार भाजपा ने दिल्ली पर राज किया। शीला दीक्षित लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनीं।

भाजपा लोकसभा चुनावों में बेहतर
चुनाव विश्लेषक शशि शंकर सिंह के मुताबिक, दिल्ली में पहला चुनाव 1993 में हुआ। तब भाजपा को 42.80 फीसदी वोटमिले। इसके बाद 2015 तक वो कभी यह आंकड़ा नहीं छू सकी। यानी फिर दिल्ली में भाजपा सरकार नहीं बनी। दरअसल, पुराने नतीजों को देखें तो यह साफ नजर आता है कि 40 या उससे ज्यादा प्रतिशत वोट हासिल करने वाले दल की ही यहां सरकार बनी। भाजपा यहां लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने दिल्ली में 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल किए थे।

1993 : पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 49 सीटें जीतीं थीं
1993 के पहले दिल्ली भी चंडीगढ़ की तरह केंद्र शासित प्रदेश था। यहां विधानसभा नहीं थी। पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 में से 49 सीटें जीतीं। 42.80% वोट मिले। कांग्रेस को 34.50% और इसके बाद जनता दल को 12.60% मत प्राप्त हुए। मदनलाल खुराना पहले मुख्यमंत्री बने। 26 फरवरी 1996 को उन्हें हटना पड़ा। उनकी जगह साहिब सिंह वर्मा आए। चुनाव के पहले उन्हें भी जाना पड़ा। 12 अक्टूबर 1998 को सुषमा स्वराज सीएम बनीं। हालांकि, भाजपा को इसी साल हुए चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।

शीला दीक्षित लगातार तीन बार जीतीं
1998, 2003 और 2008 में कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता। तीनों बार जीत का सेहरा शीला दीक्षित के सिर बंधा। हर बार वो ही मुख्यमंत्री बनीं। चांदनी चौक से कांग्रेस प्रत्याशी अलका लांबा ने दैनिक भास्कर से बातचीत में माना कि इस चुनाव में भी कांग्रेस शीला के काम पर ही वोट मांग रही हैं। 2013 में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन से 49 दिन की सरकार चलाई। हालांकि, तब भाजपा 31 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी। लेकिन, बहुमत से वो पांच सीट पीछे रह गई। उसने सरकार बनाने का दावा भी पेश नहीं किया था। 2015 में ‘आप’ ने इतिहास रचा। 70 में से 67 सीटें जीतीं। केजरीवाल मुख्यमंत्री बने।



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