कोरोना के डर से डॉक्टरों ने घायल को 25 घंटे बाद आईसीयू में भर्ती किया, समय पर इलाज न मिलने से युवक की मौत

(धर्मेंद्र डागर)कोरोना वायरस के संक्रमण का खौफ आम आदमी सहित डॉक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों में इतना अधिक बैठ गया है कि वे अब दुर्घटना ग्रस्त व अन्य बीमारियों के मरीजों को आसानी से नहीं देख रहे है। किडनी, लीवर, कैंसर, हार्ट जैसी अन्य बीमारियों से पीड़ित हजारों मरीज अस्पतालों में इलाज के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे है। लेकिन उन्हें इलाज तक मुहैया नहीं हो पा रहा है। इस कारण बहुत अधिक संख्या में अन्य बीमारियों से पीड़ित कोरोना की वजह से मौत हो जा रही है।

ऐसा ही एक दुर्घटना ग्रस्त शख्स का मामला दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में सामने आया है। परिवार का आरोप है कि दुर्घटना ग्रस्त मरीज को 25 घंटे बाद भी आईसीयू व वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके कारण मुकेश (50) नामक शख्स की मौत हो गई है। जबकि एमरजेंसी में डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर के लिए कहा था। समय रहते आईसीयू व वेंटिलेटर मिल जाता तो उसके भाई की जान बच जाती।

मृतक के परिजनों का कहना है कि दुर्घटना के बाद जब से अस्पताल लेकर आए और उसकी मौत होने तक अस्पताल के किसी डॉक्टर व अन्य किसी स्टॉफ ने मरीज को हाथ तक नहीं लगाया। मरीज के कपड़े खुद बदले, उनका बाथरुम खुद ही उठाया। यहां तक दूर से ही दवा दे देते थे। दवा लेकर उनको खिलाते। परिवार का आरोप है कि उनका भाई इलाज के अभाव में तड़प-तड़प कर मर गया।

घायल मुकेश को 25 घंटे तक नहीं दिया था आईसीयू: मृतक का भाई

मृतक के भाई विजय ने बताया कि मेरे भाई मुकेश का 15 जून शाम 8 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। इसके बाद वे खून से लथपथ हालत में घायल को हरि नगर स्थित दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में करीब रात 9 बजे ले गए थे। उनके माथे और सिर में चोट थी। डॉक्टरों से बार-बार आग्रह करने के बाद भी उसे आईसीयू में नहीं रखा गया। जबकि एमरजेंसी के डॉक्टर ने कहा कि इन्हें तुरंत आईसीयू और वेंटिलेटर की आवश्यकता है।

एमरजेंसी में सर्जरी का कोई डॉक्टर भी नही था। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने पूरे 25 घंटे अधिक उनको शिफ्ट करने में लगा दिए। बार-बार यह कहते रहे कि आईसीयू को सेनेटाइजर किया जा रहा है, यह कहते कहते 16 तारीख का पूरा दिन निकाल दिया। इसके बाद रात 10 बजे आईसीयू में शिफ्ट किया 18 जून को सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया।

परिजनों का आरोप स्वास्थ्य मंत्री की कुछ ही घंटों में आ जाती है रिपोर्ट, तो आम आदमी की 48 घंटे बाद क्यों ?

मृतक के परिजनों का आरोप है कि मामला दुर्घटना का था। अस्पताल प्रशासन को उनका कोरोना टेस्ट कराना था तो 15 जून को ही करवाना चाहिए था। अब उनकी मौत के बाद कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। अब अस्पताल प्रशासन का कहना है कि कोरोना की रिपोर्ट 48 घंटे के बाद आएगी। डेडबॉडी को भी किसी ने हाथ नही लगाया। हमसे कहा कि जाकर इसे मोर्चरी में छोड़ दो। मोर्चरी में कोरोना पेशेंट की और सामान्य की डेडबॉडी एक साथ पड़ी हैं। इतनी गंदगी और बदबू का आलम है जिसकी कोई हद नहीं। ऐसे में अब हम परिवार के सदस्य भी कोरोना की चपेट में आ सकते है।

परिजनों ने आरोप लगाया है कि दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का अस्पताल में भर्ती होते ही कोरोना का टेस्ट हो जाता है। इसके बाद कुछ ही घंटों में कोरोना की रिपोर्ट आ जाती है। तुरंत अस्पताल में आईसीयू बेड भी मिल जाता है। लेकिन आम आदमी की हालत में क्या है। आप अंदाजा लगा सकते हैं। परिवार का कहना है कि उसके भाई के 2 छोटे-छोटे बच्चे हैं। डेडबॉडी जल्द से जल्द दिलवा दी जाए। जिससे उनका अंतिम संस्कार कर सकें।

पेशेंट को हेड़ इंजरी थी, वेंटिलेटर की ज्यादा जरूरत नहीं थी। फिर भी मौत किस कारण हुई है, यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। मामला न्यूरोसर्जरी का था इसलिए इसको न्यूरोसर्जन हीं ठीक के बता पाएंगे।
डॉ. एके मेहता, चिकित्सा अधीक्षक, डीडीयू अस्पताल



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