लॉकडाउन में गृह मंत्रालय के आदेश के बाद भी 24 फीसदी लोग लोकल शॉप, ई-कॉमर्स व बिजनेस दफ्तर खुलने को लेकर कंफ्यूज

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सर्वे करके लोगों की राय जानने वाली संस्था लोकल सर्किल ने सवाल पूछा कि लोकल शॉप, ई कॉमर्स और बिजनेस दफ्तर खुलने को लेकर कंफ्यूज हैं? जबाव में सिर्फ 29 फीसदी लोगों ने कहा कि कोई कंफ्यूजन नहीं। 24 फीसदी ने कहा कि पूरी तरह से कंफ्यूज हैं और 30 फीसदी ने कहा- थोड़ा बहुत कंफ्यूज और 14 फीसदी ने कहा कि कंफ्यूज नहीं हैं लेकिन थोड़ा संदेह है। ये सवाल के लिए 8342 लोगों ने वोट किया जिसमें दिल्ली-एनसीआर सहित देशभर के 214 जिला के लोग शामिल रहे।

लोकल सर्किल के संचालक अक्षय गुप्ता ने बताया कि कंफ्यूजन की वजह से अभी बहुत से जिलों में दुकान व दफ्तर बंद हैं। क्योंकि केंद्र सरकार के आदेश किसी राज्य सरकार तो कहीं डीएम स्तर पर अपने हिसाब से फैसले लेकर बदले जा रहे हैं। इतना ही नहीं स्टार्टअप, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज, इंटरप्रिन्योर से भी फीडबैक मिले हैं। वो भी काम नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि शुरुआती दौर पर कानूनी पचड़े में नहीं पड़ना चाहते। केंद्र सरकार ने 27 जिले हाई केस वाले छांटे हैं।

39 फीसदी ने कहा: स्थानीय दुकानदारों ने एमआरपी से भी महंगा सामान दिया

लोकल सर्किल ने लॉकडाउन में पैकेट बंद सामान अधिकतम प्रिंट मूल्य से महंगा मिलने को लेकर एक सर्वे किया है। सर्वे में 244 डिस्ट्रिक्ट के 16 हजार लोगों के शामिल होने का दावा ऑनलाइन प्लेटफार्म पर सर्वे करने वाली एजेंसी ने किया है। उनका कहना है कि पहले भी इस तरह के सर्वे पर कानून में एन्फोर्समेंट में सख्ती आई थी।

सवाल पूछा गया कि लॉकडाउन के 4 हफ्ते में क्या आपने या परिवार के किसी अन्य सदस्य को लोकल स्टोर रिटेल में एमआरपी से महंगा सामान मिला है? इसके जबाव में 39 फीसदी बोले-हां जबकि 52 फीसदी लोगों ने कहा-नहीं व 9 फीसदी ऐसे भी थे जिन्होंने कहा-कह नहीं सकते। इसका जबाव 8332 लोगों ने दिया है।
सेनिटाइजर व मास्क के वसूले अधिक दाम
लॉकडाउन के शुरुआती दो हफ्ते में सबसे अधिक शिकायत मास्क और सेनिटाइजर तय कीमत से अधिक में बेचने की शिकायतें मिली थीं। लोगों ने कहा है कि लॉकडाउन में फोन या वॉट्सएप पर ऑर्डर दिया, हाथ से पर्चा बनाकर लोकल दुकानदार लाए और बाद में चेक किया तो वो कीमत अधिक वसूली गई थी। ई कॉमर्स साइट को लेकर पूछा गया तो उसमें 21 फीसदी ने कहा कि अधिक कीमत वसूली, 54 फीसदी ने कहा- नहीं जबकि 25 फीसदी ज्यादा पैसे लिए या नहीं, ध्यान नहीं दिया। लोगों ने कहा कि लॉकडाउन में एमआरपी से महंगा सामान ना बिके इसके लिए केंद्र सरकार ड्राइव चलाए।



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