मोदी रोज जगत जननी को पत्र लिखते फिर अलाव में जला देते; कुछ पन्ने बचे जिनमें कविता थी- मैं अनजान था कि समय में कांटे होते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी युवावस्था में सोने से पहले हर रात जगत जननी (मां) को अपनी डायरी में पत्र लिखते थे। ये पत्र कभी दुख और खुशी के बारे में होते थे, तो कभी यादों के बारे में। मोदी इन पत्रों को कुछ महीनों बाद फाड़कर अलाव में जला देते थे। लेकिन, 1986 में लिखी गई एक डायरी के पन्ने फिर भी बच गए।
इन बचे हुए पन्नों को हार्पर कॉलिन्स ‘लेटर्स टू मदर’ शीर्षक से किताब के रूप में प्रकाशित करने जा रहा है। मूल रूप से गुजराती में लिखे इन पत्रों में ज्यादातर कविताएं हैं। इनका अंग्रेजी में अनुवाद फिल्म समीक्षक भावना सोमाया ने किया है। किताब ई-बुक के तौर पर आने वाली है। पढ़िए इसी किताब से उनकी एक कविता का भावार्थ....
कविता पत्र: समय यात्रा करता है- 21 दिसंबर 1986
कभी-कभी
समय चुपचाप कमरे से निकल जाता है
कभी-कभी
ये चट्टान के जैसे फैलता है
मेरे सीने पर
मुझे अपने बोझ के तले
दबा देता है
मैं अनजान था
कि समय में कांटे होते हैं
ये चुभता है और छेदता है
हृदय को चोट पहुंचाता है लहूलुहान करता है
कभी-कभी समय महकता भी है
आहिस्ता बिना आहट गुजर जाता है
निकल जाने के बाद पीछे कुछ नहीं छोड़ता...
न कोई स्पर्श, न कोई निशान
आदमी ने हमेशा घड़ी के हाथों में
समय को जकड़ कर रखा है
छोटे-छोटे ढांचे और मशीनों में
इसे जमा कर रखा है
और फिर भी
कभी-कभी, कहीं न कहीं
समय भी अंकुश महसूस करता है
अपने वैराग्य में
अपने ठहराव में
अपनी गति में
ऐसे लम्हे स्थिर खड़े रहते हैं
अनछुए और परिरक्षित
कितने ऐसे लम्हे हैं
हमारे जीवन में
हमारे समाज में
हमारे राष्ट्र में
जिन्हें हम अमर कह सकते हैं...!
लिखना जरूरी नहीं बल्कि आत्मावलोकन: मोदी
किताब में मोदी ने कहा,‘हर कोई विचार अभिव्यक्त करता है और जब सब कुछ उड़ेलने की इच्छा तीव्र होती है, तो कलम और कागज उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता। लिखना जरूरी नहीं है बल्कि आत्मावलोकन है।
- प्रस्तावना में ही लेखक (मोदी) कहता है कि उसकी बेचैनी ने मजबूर किया कि वो इन कविताओं को अपनी डायरी में लिखे। उनकी भावनाओं के बेबाक प्रदर्शन ने मुझे इस किताब की ओर आकर्षित किया। - भावना सोमाया
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/36LtNV9
Comments
Post a Comment