सांस के मरीजों के गले में बिना परेशानी डाला जा सकती है ऑक्सीजन का नली, कोरोना मरीजों को मिलेगी राहत

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महर्षि दयानंद अस्पताल के डॉक्टर ने सांस के मरीजों के गले में ऑक्सीजन की नली डालने की नई तकनीक ईजाद की है। इस तकनीक की खासियत यह है कि कोरोना के मरीजों को सांस उखड़ने के समय डॉक्टर बिना खतरे के मरीजों के गले में सांस की नली लगा सकते है। इस तकनीक को ईजाद करने वाले स्वामी दयानंद अस्पताल के आईसीयू इंचार्ज डॉ. प्रसन्नजीत चटर्जी बताते हैं कि ये मॉडल एक्रेलिक प्लास्टिक से बनाया गया है। जिससे मरीज का चेहरा बहुत हद तक ढक जाता है। इसमें एक तरफ डॉक्टर के प्रोसीजर करने के लिए 2 छेद हैं। इन छेदों में हाथ डाल कर डॉक्टर ये प्रोसीजर कर सकते हैं।

मात्र 5 से 6 हजार में बना डाला खास उपकरण
डा. चटर्जी ने बताया कि इस उपकरण को मात्र 5 से 6 हजार में तैयार हुआ है। एक्रेलिक प्लास्टिक के बने इस उपकरण को हर बार प्रयोग के बाद आसानी से सेनीटाइज्ड किया जा सकता है। डा. चटर्जी ने कहा कि इसी से मिलते-जुलते उपकरण विदेश में डॉक्टरों द्वारा संक्रमण से बचने के लिए खूब इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने बताया कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण उपचार के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए यह उपकरण तैयार किया है।

यह होती है परेशानी

डा. चटर्जी ने बताया कोरोना के मरीजों के सांस, छींक और खांसी के साथ निकलने वाले थूक में मौजूद महीन कणों के जरिए कोरोना का संक्रमण सबसे तेजी से फैलता है। ऐसे में कोरोना के ऐसे गंभीर मरीज जिन्हें सांस की बीमारी हो चुकी हो, जिन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे में उस मरीज की जान बचाने के लिए कोरोना संक्रमित मरीजों के गले में ऑक्सीजन नली डालना डॉक्टरों के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है।

क्योंकि इस प्रक्रिया में मरीज की सांस सीधे डॉक्टरों के चेहरे पर पड़ती है। ऐसे में मरीज का सांस, थूक और अगर नली डालने के प्रकिया के दौरान अगर खांसी आ जाए तो खांसी के साथ निकले थूक के सारे कण सीधे डॉक्टर के चेहरे पर पड़ते हैं। इससे कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहें डॉक्टरों के कोरोना से संक्रमित होने का खतरा बहुत बढ़ जाता है।



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Oxygen can be inserted into the throat of respiratory patients without discomfort, corona patients will get relief


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